जमादी'उल अव्वल और जमादि'उल'आख़िर / सानी के महीने

जमादी'उल अव्वल का महीना

 
***** 5  - विलादत - जनाब ज़ैनब (स:अ) बिन्ते अली (अ:स) - 5 AH *****
***** 13 - शहादत बीबी फ़ातिमा ज़हरा (स:अ) - 11 AH *****  कमज़ोर रिवायत 
14 - शहादत हज़रत अब्दुल मुत्तलिब (पैगम्बर [स:अ:व:व] के दादा)

***** 15 - विलादत ईमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) - चौथे ईमाम (38 AH) [एक दूसरी रिवायत] *****

17 -  शहादत शहीद बाक़र अल सदर 11 - विलादत शेख़ नसीरुद्दीन तूसी - 597 AH
17 - जमल की लड़ाई (जंगे जमाल) - 36 AH  19 - शहादत - शहीद अव्वल
20 - विलादत मोहाक़'किक हिल्ली - 602 AH 22 - मौत - शेख़ बह्जत 1430 AH
   
   
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जमादी'उल'आख़िर / सानी का महीना

 
1- सैय्यद अब्दुल हुसैन शरफुद्दीन 1290 AH
***** 3 - शहादत बीबी फ़ातिमा ज़हरा (स:अ) - 11 AH *****  मातेबर रिवायत
10 - मौता की लड़ाई (जंगे मौता)  - 3 AH,10 - शहीद मुत्ताहर्री की मौत , 10 - शहादत हज़रत जाफर तैयार (अ:स) - 3 AH,
13 - हज़रत उम्मुल बनीन की शहादत (हज़रत अब्बास अलमदार (अ:स) की माँ) 19 - पैगम्बर के वालेदैन (माँ-बाप) की शादी
***** 20 - बीबी फ़ातिमा ज़हरा (स:अ) की विलादत ***** 
21 - शहादत बीबी उम्मे कुलसूम (स:अ) - 61 AH 23 - नबी याकूब (अ:स) की विलादत
26 - शहादत ईमाम हादी (अ:स) (एक रिवायत) 27 - मोहददिस नूरी ( शेख़ अब्बास क़ुम्मी) के उस्ताद की मौत

 

सैय्यद इब्ने तावूस ने जमादी'उल आख़िर के महीने में 4 रक्'अत नमाज़ की ताकीद की है, जिसे 2-2 रक्'अत करके पढ़ना चाहिए! यह नमाज़ ईस महीने में कभी भी पढ़ी जा सकती है! जो भी ईस अमाल क़ो बजा लाएगा, उसे उसकी ज़िन्दगी की ज़मानत, दौलत और इसके ख़ानदान की हिफ़ाज़त पुरे साल भर होगी! अगर अमाल बजा लाये हुए शख्स का इन्तेक़ाल हो जाता है तो उसे शहीद होने का दर्जा और सवाब मिलेगा!

तरीक़ा : चार रक्'अत नमाज़ पढ़ें (२ रक्'अत X २) : जैसा निचे लिखा है :

पहली रक्'अत -  अल'हम्द की सुराः के बाद एक मर्तबा आयतल कुर्सी पढ़ें और फिर २५ बार सुराः अल'क़द्र की तिलावत करें  

दूसरी रक्'अत -  अल'हम्द की सुराः के बाद एक मर्तबा सुराः अत'तखातुर पढ़ें और फिर २५ बार सुराः अल'इख्लास की तिलावत करें

अब सलाम फेरें और फिर बाक़ी की दो रक्'अत के लिये खड़े हो जाएँ 

तीसरी रक्'अत -  अल'हम्द की सुराः के बाद एक मर्तबा सुराः अल'काफेरून पढ़ें और फिर २५ बार सुराः अल'फलक की तिलावत करें  

चौथी रक्'अत -  अल'हम्द की सुराः के बाद एक मर्तबा सुराः अन'नसर पढ़ें और फिर २५ बार सुराः नास की तिलावत करें
 

 नमाज़ के बाद नीचे लिखी हुई तस्बीहात पढ़ें :

     

१. तस्बीहात अरबा - 70 मर्तबा

     
     

सुबहान अल्लाहे वल'हम्दो लील'लाहे व ला इलाहा इलल'लाहो वल'लाहो अकबर

 

  سُبْحَانَ اللَّهِ وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ وَ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَ اللَّهُ أَكْبَرُ  

     
     

२. सलवात - 70 मर्तबा पढ़ें

     
     

अल्ला'हुम्मा सल्ले अला मोहम्मदीन व अले मोहम्मद

 

 للَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍا

     
     

३. फिर 3 मर्तबा पढ़ें

     
      अल्लाहुम'मग़'फ़िर'लील मोमिनीना वल मोमिनात  

اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِلْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ‏

     
     

४. अब सजदह में जाएँ और पढ़ें

     
     

या हय्यु या क़य्यूम, या ज़ुल'जलाले वल इकराम, या अल्लाहो या रहमान, या रहीमो या अर्हमर-राहेमीन,

सुबहान अल्लाहे वल'हम्दो लील'लाहे व ला इलाहा इलल'लाहो वल'लाहो अकबर

अल्ला'हुम्मा सल्ले अला मोहम्मदीन व अले मोहम्मद

 

 

يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ يَا ذَا الْجَلاَلِ وَ الْإِكْرَامِ يَا اللَّهُ يَا رَحْمَانُ يَا رَحِيمُ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ‏

سُبْحَانَ اللَّهِ وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ وَ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَ اللَّهُ أَكْبَرُ

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ

     

अगर ऊपर लिखी हुई क़ुरान की कोई सुराः याद न हो तो क़ुरान की सुराः के लिये यहाँ क्लिक करें!

मख्सूस महीने रजब की तैयारी करें !

            

     

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