रजब, शाबान और रमज़ान महीने के 13, 14, और 15 के अमाल
(अय्यामे बैज़)
ज़्यारते ईमाम हुसैन (अ:स) पढ़ें नया | अमाले उम्मे दावूद MP3
13 रजब की रात |
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रजब, शाबान और रमज़ान महीने की
13 तारीख़ क़ो 2 रक्'अत नमाज़ मुस्तहब है! ईस नमाज़ की हर रक्'अत
में सुराः हम्द के बाद सुराः यासीन, सुराः मुल्क, और सुराः
तौहीद पढ़े!
14 तारीख की शब् में 4 रक्'अत
नमाज़ 2-2 रक्'अत करके इसी तरह पढ़े, और
15 तारीख की शब् में 6 रक्'अत
नमाज़ 2-2 रक्'अत करके इसी तरह पढ़े
ईमाम जाफ़र अल-सादीक़ (अ:स) का
इरशाद है की इसी तरीक़े से यह 3 नमाजें पढ़ने वाला ईन तीनों
महीनों की तमाम फ़ज़ीलतों क़ो हासिल करेगा और सिवाए शिर्क के
इसके सभी गुनाह माफ़ हो जायेंगे
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13 रजब का दिन |
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यह अय्यामे बैज़ का पहला दिन है, ईस दिन और इसके बाद के दोनों दिनों में रोज़ा रखने का बहुत ज़्यादा अजर व सवाब है, अगर कोई शख्स अमाले दावूद बजा लाना चाह्हता है, तो ईस के लिये 13 रजब का रोज़ा रखना ज़रूरी है! मशहूर है की आमूल फ़ील के 30 साल बाद इसी रोज़ काबा मो-अज्ज़ेमा में अमीरुल मोमिनीन हज़रत ईमाम अली (अ:स) की विलादत ब-सा'आदत हुई थी | |||||
15 रजब की रात |
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यह बड़ी बा'बरकत रात है और इसमें
चंद एक अमाल है :
1. ग़ुस्ल करे
2. ईबादत के लिये शब्'बेदारी
करे, जैसा की अल्लामा मजलिसी (अ:र) ने फ़रमाया है
3. ईमाम हुसैन की मख्सूस
ज़्यारत पढ़े
4. 6 रक्'अत नमाज़ बजा लाये, जिस का
ज़िक्र ऊपर 13 रजब की रात में हुआ है
5. 30 रक'अत नमाज़ पढ़े जिसकी
हर रक्'अत में सुराः हम्द के बाद 10 बार सुराः तौहीद पढ़ी जाए!
हज़रत पैग़म्बर (स:अ:व:व) से ईस नमाज़ की बदी फ़ज़ीलत नक़ल हुई
है
6 . 2-2 रक्'अत करके 12 रक्'अत
नमाज़ पढ़ें और हर रक्'अत में
सुराः हम्द 4 मर्तबा पढ़ें
सुराः तौहीद 4 मर्तबा पढ़ें
सुराः फ़लक़ 4 मर्तबा पढ़ें
सुराः नास 4 मर्तबा पढ़ें
आयतल कुर्सी 4
मर्तबा पढ़ें
सुराः क़द्र 4 मर्तबा पढ़ें
सुराः हम्द 4 मर्तबा पढ़ें
और नमाज़ का सलाम पढ़ने के बाद 4
मर्तबा कहें :
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ख़ुदा वो ख़ुदा! जो मेरा परवरदिगार है मै किसी क़ो इसका शरीक नहीं बनाता और
न इसके सिवा किसी क़ो अपना सर'परस्त बनाता हूँ
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अल्लाहू अल्लाहू रब्बी ला उश्रीकू बिही शैयी-अन व ला अत्ता'खिज़ु मिन दूनी'ही वली'या |
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इसके बाद जो ज़िक्र और दुआ चाहे पढ़ें,
नमाज़ का यह तरीक़ा सैय्यद ने ईमाम जाफ़र अल-सादीक़ (अ:स) से नक़ल किया है, लेकिन शेख़ ने मिस्बाह में दावूद बिन सरहान के ज़रिये ईमाम जाफ़र अल-सादीक़ (अ:स) से ईस नमाज़ का एक और तरीक़ा ब्यान किया है जिसमे १५ रजब की रात में १२ रक्'अत नमाज़ पढनी है, जिसकी हर रक्'अत में सुराः अल-हम्द के बाद कोई एक सुराः पढ़ें और नमाज़ का सलाम देने के बाद सुराः अल-हम्द सुराः फ़लक़, सुराः नास, सुराः तौहीद, और आयतल कुर्सी, सभी क़ो ४-४ मर्तबा पढ़ें और फिर कहें : |
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ख़ुदा पाक है और हम्द ख़ुदा ही के लिये है और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह बुज़ुर्ग'तर है |
सुबहान अल्लाहे वल हम्दो लिल्लाहे व ला इलाहा इलल'लाहो वल'लाहो अकबर |
سُبْحَانَ اللهِ وَ الْحَمْدُ للهِ وَ لَا اِلَہَ اِلَّا اللهُ وَ الله اَکْبَرُ |
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इसके बाद कहे : | |||||
अल्लाह ही परवरदिगार है इसमें किसी क़ो इसका शरीक नहीं बनाता, वोही होगा जो अल्लाह चाहे, कोई ताक़त नहीं है मगर वो बुलंद क़ुव्वत मगर बुज़ुर्ग ख़ुदा से है |
अल्लाहू अल्लाहू रब्बी ला उश्रीकू बिही शैयी-अन व माशा-अल्लाहू ला क़ुव'वता इल्ला बिल्लाहिल अली'ईल अज़ीम |
اَللهُ اَللهُ رَبِّیْ لاَاُ شْرِکُ بِہ شَیْئاً وَمَا شَاءَ اللهُ، لاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِاللهِ الْعَلِیِّ الْعَظِیمَ |
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फिर 27 रजब की शब् में भी यही नमाज़ बजा लाये |
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15 रजब का दिन |
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यह बड़ा ही मुबारक दीन है और इसमें खुछ ख़ास अमाल हैं!
1. ग़ुस्ल करे
2. ईमाम हुसैन (अ:स) की ज़्यारत पढ़ें/करें! इब्ने अबी
नसर से रिवायत है की मैंने ईमाम अली रज़ा (अ:स) से अर्ज़ किया के मै किस
महीने में ईमाम हुसैन (अ:स)
की ज़्यारत करूँ ? आप (अ:स) ने फ़रमाया के 15 रजब और 15 शाबान
क़ो यह ज़्यारत किया करो
3. नमाज़ हज़रत सुलेमान बजा लाये
4. 4 रक्'अत नमाज़ 2-2 रक्'अत करके पढ़े और नमाज़ का
सलाम पढ़ने के बाद हाथ फैला कर कहे :
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ऐ माबूद, ऐ सरकश क़ो सर'नगूं करने वाले, ऐ मोमिनों क़ो इज़्ज़त देने वाले तू ही मेरी पनाह है, जब रास्ते मुझे थका कर रख दें और तुही मुझे अपनी रहमत सक्से पैदा करने वाला है जब की तू मेरी पैदाइश से बे-नेयाज़ था, और अगर तेरी रहमत मेरी शामिले हाल न होती तो मै तबाह होने वालों में होता और तुही दुश्मनों के मुक़ाबले मेरी नुसरत करके मुझे ताक़त देने वाला है, और अगर तेरी मदद मुझे हासिल न होती तो मै रुसवा लोगों में से होता, ऐ अपने खजानों से रहमत भेजने वाले और बा'बरकत जगहों से बरकत ज़ाहिर करने वाले ऐ वो जिस ने खुद क़ो बुलंदी और बरतरी से खालिस किया, बस, ईस के दोस्त इसकी इज़्ज़त के ज़रिये इज्ज़तदार हैं, और ऐ वो जिस की ग़ुलामी का तौक़ बादशाहों ने अपनी गर्दनों में डाल रखा है और इसके दबदबे से डरते हैं और मै तुझ से सवाल करता हूँ तेरी आफ्रीनश के वास्ते से जो तुने बड़ाई से ज़ाहिर की और सवाल करता हूँ तेरी बड़ाई के वास्ते से जिसे तुने अपनी इज़्ज़त से नुमायाँ किया और सवाल करता हूँ तेरी इज़्ज़त के वास्ते से जिससे तू अपने अर्श पर हावी है, बस इसी से तुने अपनी सारी मख्लूक़ क़ो पैदा किया जो सब तेरे फ़र्माबर्दार हैं, यह की तू हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) और इनके अहलेबैत (अ:स) पर रहमत फ़रमा! |
बिस्मिल्ला हीर रहमा नीर रहीम
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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْم
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