या मन अर्जोहो ले कुल्ले ख़ैर   يَا مَنْ أَرْجُوهُ لِكُلِّ خَيْرٍ

रजब महीना - दुआ इंडेक्स

दुआ का व्याख्यान     कमेंट्री टेक्स्ट       PDF डाउनलोड करें

मोहम्मद बिन ज़िक्वान,आप इसलिए सज्जाद के नाम से मारुफ़ हैं की इन्होंने इतने सजदे किये और खौफे ख़ुदा में ईस क़दर रोये के नाबीना हो गए थे, सैय्यद इब्ने तावूस ने मोहम्मद बिन ज़िक्वान से रिवायत की है की इन्होंने कहा : मैंने ईमाम जाफ़र सादीक़ (अ:स) की ख़िदमत में अर्ज़ किया की मै आप पर क़ुर्बान  हो जाऊं यह माहे रजब है, मुझे कोई दुआ तालीम कीजिये के हक्क़े तआला के ज़रिये मुझे फायेदा अता फ़रमाये! आप ने फ़रमाया की लिखो "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम " और रजब के महीने में हर रोज़ सुबह व शाम की नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ो :     

 रियल - ऑनलाइन सुने    |  रियल - डाउनलोड Mp3          |          यू टीयुब

शुरू ख़ुदा के नाम से करता हूँ जो रहमान और रहीम है,

ऐ वो जिस से हर भलाई की उम्मीद रखता हूँ और हर बुराई के वक़्त ईस के ग़ज़ब से अमान चाहता हूँ 

ऐ वो जो थोड़े अमल पर ज़्यादा अजर देता है ऐ वो जो हर सवाल करने वाले क़ो देता है

वो जो इसे भी देता है जो सवाल नहीं करता और इसे भी देता है जो इसे नहीं पहचानता, एहसान और रहमत के तौर पर तू मुझे भी मेरे सवाल पर दुन्या व आख़ेरत की तमाम भलाईयां और नेकियाँ अता फ़रमा दे और मेरी तलाब्गारी पर दुन्या व आख़ेरत की तमाम तकलीफें और मुश्किलें दूर करके मुझे महफूज़ फ़रमा दे क्योंकि तू जितना अता करे तेरे यहाँ कमी नहीं पड़ती, ऐ करीम तू मुझ पर अपने फज़ल में इज़ाफा फ़रमा!

       

 

(रावी कहता है की इसके बाद ईमाम (अ:स) ने अपनी रेशे मुबारक क़ो दाहिनी मुठी में लिये और अपनी अंगुश्त शहादत क़ो हिलाते हुए निहायत गिरया व ज़ारी की हालत में यह दुआ पढ़ी :)

ऐ साहिबे जलालत व बुज़ुर्गी वाले
ऐ नेमतों और बख्शीश के मालिक
ऐ साहिबे एहसान व अता
मेरे सफ़ेद बालों क़ो आग पर हराम फ़रमा दे

 

ट्रांसलिट्रेशन

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

अल्लाहुम्मा सल्ली अला मोहम्मदीन व आली मोहम्मद

या मन अर्जोहू ली'कुल्ली ख़ैर व-आमनु सख्तहू इन्दा कुल्ले शर्र 

या मन्यु'तिल कसीरा बिल'क़लील 

या मंयुती मन स-अलह 

य मंयुती मन लम यस'लहू व मल लम या'रिफ़हू तहन-नुनम मिन्हु व रहमा अ'तिनी बे'मिसलती इय्याक जमी'अ खैरिद-दुन्या व जमी'अ खैरिल-आखिरह व-असरिफ अन्नी बे-मिसालती इय्याक जमी'अ शर'रिद दुन्या व शर-रील आखिरह फ़-इन्नाहू गेरू मन'कूसिन मा अ-तैत व ज़िदनी मिन फ़ज्लिका य करीम 

(रावी कहता है की इसके बाद ईमाम (अ:स) ने अपनी रेशे मुबारक क़ो दाहिनी मुठी में लिये और अपनी अंगुश्त शहादत क़ो हिलाते हुए निहायत गिरया व ज़ारी की हालत में यह दुआ पढ़ी :)

या ज़ुल्जलाल वल इकराम 

या जाननी'माई वल जूद 

या ज़ल मन्नी वत'तौल 

हर'रिम शैबती अलन'नार 

 

ईस दुआ क़ो पढ़ने के वक़्त की जाने वाली आम गलतीयाँ

यह दुआ  يا من ارجوه لكل خير(या मन अर्जोहू ली कुल्ली ख़ैर) आमतौर पर रजब माह के दौरान हर नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है! कई लोगों ने अनजाने में ईस दुआ के साथ लगी हुई परम्परा का व्याख्यान ग़लत समझा है, जो ईस प्रकार है!

-          सही परम्परा अनुसार आप अपनी दाढ़ी क़ो बाएं हाथ से पकड़ें, और अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर जिस से ज़्यारत पढ़ते है) क़ो ही हिलाएं, यहाँ अपना हाथ,बाज़ू या कलाई नही हिलाना है, हाथ या बाज़ू उठाना परम्परा में नही बताया गया है, बल्कि आप अपनी कलाई और हाथ क़ो स्थिर रखें और अपनी तर्जनी ऊँगली क़ो आगे पीछे हिलाएं!

-          कथन वास्तव में यह कहते हैं की ईमाम (अ:स) ने अपनी दाढ़ी पकड़ी और अपनी ऊँगली क़ो पूरी दुआ में घुमाते रहे,  न की सिर्फ़ वहाँ जहां يَا ذَاَ الْجَلالِ وَالإكْرَامِ (या ज़ुल जलाल वल इकराम) से शुरू किया जाता है! इसक़ो पूरी परंपरा का ध्यान से परीक्षण करके साबित किया जा  सकता है!

-          महिलाओं के साथ ईस संस्कार में छूट दी गई है, वो ईस दुआ क़ो सामान्य दुआओं जैसा पढ़ सकती हैं जैसा की हर दुआ में हाथ आसमान की तरफ़ उठा कर (अल्लाह से मांगने के वक़्त) पढ़ा जाता है!

 इसको  http://zidnee.blogspot.com/2005/08/welcoming-month-of-rajab.html से लेकर अनुवाद किया गया!

 

The above dua in another font:

يَا مَنْ أَرْجُوهُ لِكُلِّ خَيْرٍ،

या मन अर्जोहू ली'कुल्ली ख़ैर,

ऐ वो जिस से हर भलाई की उम्मीद रखता हूँ ;

وآمَنُ سَخَطَهُ عِنْدَ كُلِّ عَثْرَةٍ،

व-आमनु सख्तहू इन्दा कुल्ले शर्र,

और हर बुराई के वक़्त ईस के ग़ज़ब से अमान चाहता हूँ;

يَا مَنْ يُعْطِي الْكَثِيرَ بِالْقَلِيلِ،

या मन्यु'तिल कसीरा बिल'क़लील,

ऐ वो जो थोड़े अमल पर ज़्यादा अजर देता है;

يَا مَنْ يُعْطَي مَنْ سَأَلَهُ

या मंयुती मन स-अलह,

ऐ वो जो हर सवाल करने वाले क़ो देता है;

يَا مَنْ يُعْطي مَنْ لَمْ يَسْأَلْهُ وَمَنْ لَمْ يَعْرِفْهُ تَحَنُّناً مِنْهُ وَرَحْمَةً،

य मंयुती मन लम यस'लहू व मल लम या'रिफ़ह तहन-नुनम मिन्हु  रहमातन ,

ऐ वो जो इसे भी देता है जो सवाल नहीं करता और इसे भी देता है जो इसे नहीं पहचानता:

أَعْطِنِي بِمَسْأَلتِي مِنْ جَمِيعِ خَيْرِ الدُّنْيَا،

'तिन बे'मिसलत इय्याक जमी' खैरिद-दुन्या  

एहसान और रहमत के तौर पर तू मुझे भी मेरे सवाल पर दुन्या

وَجَمِيعِ خَيْرِ الآخِرَةِ،

व जमी' खैरिल-आखिरह,

व आख़ेरत की तमाम भलाईयां और नेकियाँ अता फ़रमा दे ;

وَاصْرِفْ عَنّي بِمَسْألَتي إيَّاكَ جَميعَ شَرِّ الدُّنْيا وَشَرِّ الآخِرَة

व-असरिफ अन्नी बे-मिसालती इय्याक जमी' शर'रिद दुन्या व शर-रील आखिरह ,

और मेरी तलाब्गारी पर दुन्या व आख़ेरत की तमाम तकलीफें और मुश्किलें दूर करके मुझे महफूज़ फ़रमा दे

فَإنَّهُ غَيْرُ مَنْقُوصٍ مَا أَعْطَيْتَ،

फ़-इन्नाहू गेरू मन'कूसिन मा अतैता,

क्योंकि तू जितना अता करे तेरे यहाँ कमी नहीं पड़ती.

وَزِدْنِي مِنْ سَعَةِ فَضْلِكَ يَا كَرِيمُ.

व ज़िदनी मिन फ़ज्लिका य करीम.

ऐ करीम तू मुझ पर अपने फज़ल में इज़ाफा फ़रमा.

रावी कहता है की इसके बाद ईमाम (अ:स) ने अपनी रेशे मुबारक क़ो दाहिनी मुठी में लिये और अपनी अंगुश्त शहादत क़ो हिलाते हुए निहायत गिरया व ज़ारी की हालत में यह दुआ पढ़ी :

يَا ذَاَ الْجَلالِ وَالإكْرَامِ،

या ज़ुल्जलाल वल इकराम

ऐ साहिबे जलालत व बुज़ुर्गी वाले;

يَا ذَاَ النَّعْمَاءِ وَالْجُودِ،

या जाननी'माई वल जूद

ऐ नेमतों और बख्शीश के मालिक;

يَا ذَاَ الْمَنِّ وَالطَّوْلِ،

या ज़ल मन्नी वत'तौल

ऐ साहिबे एहसान व अता;

حَرِّمْ شَيْبَتِي عَلَى النَّارِ.

हर'रिम शैबती अलन'नार

मेरे सफ़ेद बालों क़ो आग पर हराम फ़रमा दे.

 

            

     

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