ज़्यारत हज़रत अबुल फ़ज़लील अब्बास (अ:स) इब्ने अली (अ:स)

MP3 ऑडियो सुनें

शेख़ अजल जाफ़र इब्ने कौलिया क़ुम्मी ने मातेबर सनद के साथ अबू हमज़ा सुमाली से रिवायत की है की  साथ ईमाम जाफ़र अल-सादीक़ (अ:स) ने फ़रमाया : जब तुम अब्बास बिन अमीरुल मोमिनीन (अ:स) की क़ब्रे मुबारक की ज़्यारत करो जोकि फुरात नदी के किनारे हायेरे हुसैनी के पास है, तो आपके रौज़ा-ए-पाक के दरवाज़े पर खड़े हो कर यह पढ़ो :

 बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम

सलामुल'लाही व सलामु मलाइकती'हिल मुक़र'रबीन व अम्बिया - इहिल मुरसा'लीन व इबादिहिस’ सालिहीन व जमी-इश शुहादा-इ वस’ सिद'दीकीन वज़ ज़ाकिया'तुत’ तय्यी'बात फ़ीमा तग'तदी व तरूह’उ अलयका यबना अमीरिल मूमिनीन अश'हदू लका बीत तस्लीम वत तस’दीकी वल वफ़ा-इ वन  नसीहती ली'खालाफिन नबिय्य सल'लल'लाहू अलय्ही व आलिहिल मुर्सल वस सिब्तिल मुन्ताजब वद दलीलिल आलिम वल वसी'ईल मुबल'लिग़ वल मज़्लूमिल मुह'तज़म फ़'जज़ाकल'लाहू अन रसूलिही व अन अमीरिल मूमिनीन व अनिल हसन वल हुसैन सलावातुल'लाही अलय्हीम अफ़'ज़लाल जज़ा-इ बीमा सबरता वह’-तसब्ता व अ-अन्ता फ़'निअमा उक़'बद दर ला-अनल'लाहू मन कता'लका व ला-अनल'लाहू मन जहिला हक़'क़का वस-तख़'अफ़्फा बी'हुर्मतिका व ला-अनल'लाहू मन हाला बय्नका व बयना मा-इल फ़ुरात अश'हदू अन्नका क़ुतिल'ता मज्लूमन व अन्नल'लाहा मुंजी'ज़ुं लकुम मा व-अदाकुम जिया-तुका यबना अमीरिल मूमिनीन वाफ़ी'दन इलय्कुम व क़ल्बी मुसल'लिमुं लकुम व ताबी'उ'ना व अना लकुम ताबी-उना व नुसरती लकुम मु-अद'दतून हत्ता यह्कुमल' लाहू व हुवा हयरुल हाकिमीन फ़मा-अ अकुम मा-अकुम ला मा-अ’ अदुव'विकुम इन्नी बिकुम व बीया बिकुम मिनल मूमिनीन व बिमान ख़ाला'फ़कुम व कता'लकुम मिनल काफ़ी'रीन क़तालाल'लाहू उम्मतन क़तालत'कुम बिल-अय्दी वल-अल्सुं

 

 سَلاَمُ اللَّهِ وَ سَلاَمُ مَلاَئِكَتِهِ الْمُقَرَّبِينَ وَ أَنْبِيَائِهِ الْمُرْسَلِينَ وَ عِبَادِهِ الصَّالِحِينَ وَ جَمِيعِ الشُّهَدَاءِ وَ الصِّدِّيقِينَ‏
(وَ) الزَّاكِيَاتُ الطَّيِّبَاتُ فِيمَا تَغْتَدِي وَ تَرُوحُ عَلَيْكَ يَا ابْنَ أَمِيرِ الْمُؤْمِنِينَ‏
أَشْهَدُ لَكَ بِالتَّسْلِيمِ وَ التَّصْدِيقِ وَ الْوَفَاءِ وَ النَّصِيحَةِ لِخَلَفِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ الْمُرْسَلِ‏
وَ السِّبْطِ الْمُنْتَجَبِ وَ الدَّلِيلِ الْعَالِمِ وَ الْوَصِيِّ الْمُبَلِّغِ وَ الْمَظْلُومِ الْمُهْتَضَمِ‏
فَجَزَاكَ اللَّهُ عَنْ رَسُولِهِ وَ عَنْ أَمِيرِ الْمُؤْمِنِينَ وَ عَنِ الْحَسَنِ وَ الْحُسَيْنِ صَلَوَاتُ اللَّهِ عَلَيْهِمْ أَفْضَلَ الْجَزَاءِ
بِمَا صَبَرْتَ وَ احْتَسَبْتَ وَ أَعَنْتَ فَنِعْمَ عُقْبَى الدَّارِ
لَعَنَ اللَّهُ مَنْ قَتَلَكَ وَ لَعَنَ اللَّهُ مَنْ جَهِلَ حَقَّكَ وَ اسْتَخَفَّ بِحُرْمَتِكَ وَ لَعَنَ اللَّهُ مَنْ حَالَ بَيْنَكَ وَ بَيْنَ مَاءِ الْفُرَاتِ‏
أَشْهَدُ أَنَّكَ قُتِلْتَ مَظْلُوماً وَ أَنَّ اللَّهَ مُنْجِزٌ لَكُمْ مَا وَعَدَكُمْ‏
جِئْتُكَ يَا ابْنَ أَمِيرِ الْمُؤْمِنِينَ وَافِداً إِلَيْكُمْ وَ قَلْبِي مُسَلِّمٌ لَكُمْ وَ تَابِعٌ‏
وَ أَنَا لَكُمْ تَابِعٌ وَ نُصْرَتِي لَكُمْ مُعَدَّةٌ حَتَّى يَحْكُمَ اللَّهُ وَ هُوَ خَيْرُ الْحَاكِمِينَ‏
فَمَعَكُمْ مَعَكُمْ لاَ مَعَ عَدُوِّكُمْ إِنِّي بِكُمْ وَ بِإِيَابِكُمْ (وَ بِآبَائِكُمْ) مِنَ الْمُؤْمِنِينَ‏
وَ بِمَنْ خَالَفَكُمْ وَ قَتَلَكُمْ مِنَ الْكَافِرِينَ قَتَلَ اللَّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكُمْ بِالْأَيْدِي وَ الْأَلْسُنِ‏
 

अनुवाद : सलाम हो ख़ुदा का और सलाम हो इसके मुक़र'रिब फ़रिश्तों का, ईस के भेजे हुए नबियों का , इसके नेक बन्दों का और तमाम शहीदों और सिद'दीकों का सलाम हो और बेहतरीन रहमतें हों, हर सुबह और हर शाम आप पर ऐ अमीरुल मोमिनीन (अ:स) के नूरे चश्म, मै गवाही देता हूँ आपकी ईस अता'अत ता'ईदे वफ़ादारी और खैरख्वाही पर जो आपने नबी-ए-अकरम (स:अ:व:व) के जा'नशीन से की है के जो नेक अस्ल नवासे साहिबे ईल्म और रहबर-ए-तबलीग़ करने वाले क़ायेम मुक़ाम और वो सितम'दीदा हैं जिन क़ो तंग किया गया, बस ख़ुदा जज़ा दे आपको अपने रसूल की तरफ़ से अमीरुल मोमिनीन (अ:स) की तरफ़ से, हसन (अ:स) व हुसैन (अ:स) की तरफ़ से, ईन सबपर ख़ुदा की रहमतें हों, आपको बेहतरीन जज़ा दे की आपने सबर किया, खैरख्वाही की, और मदद व नुसरत की, क्या अच्छा है आपका अंजाम ख़ुदा लानत करे आपके क़ातिल पर, ख़ुदा लानत करे इसपर जिस ने आपका हक़ ना पहचाना और आपकी बे-एह्तरामी की, ख़ुदा लानत करे इसपर जो आपके और फुरात के पानी के दरम्यान रुकावट बना, मै गवाही देता हूँ की आप मज्लूमी में क़त्ल हुए और ख़ुदा आपको वो जज़ा देगा जिसका आप लोगों से वादा किया है, आपके यहाँ आया हूँ ऐ अमीरुल मोमिनीन (अ:स)  के फ़र्ज़न्द, आपका मेहमान हूँ, मेरा दिल आपके हवाले और ताबे'अ है, और मै आपका पैरोकार हूँ, मै आपकी नुसरत पर आमादा हूँ यहाँ तक की ख़ुदा फैसला करे और वो बेहतरीन फैसला करने वाला है आपके साथ हों, आप के साथ न की आपके दुश्मन के साथ, बेशक मै आप पर और आपके वापस आने पर ईमान रखता हूँ और आपके मुखालिफ और आपके क़ातिल से मेरा कोई ता'अल्लुक़ नहीं, ख़ुदा शल करे ईस गिरोह क़ो जिस ने हाथ और ज़बान के साथ आपसे जंग की!

   
फिर रौज़ा-ए-मुबारक के अन्दर दाख़िल हो जाए, खुद क़ो क़ब्रे-शरीफ़ से लिपटाए और कहे :
 

अस'सलामु अलयका अय्युहल अब्दुस’ सालिहुल मुती-उ’ लिल्लाहि व रसूलिही व ली-अमीरिल मूमिनीना वल हसनी वल हुसैन सल'लल'लाहू अलय्हीम व सल्लम अस'सलामु अलयका व रहमतुल'लाही व बरका'तुह व मग़'फिरातुहू व रिज़'वानुहू व अला रूहिका व बदनिका अश-हदू व उष' हिदुल'लाहा अन्नका मज़यता अला मा'मज़ा बिहिल बद्री'यूना वल मुजाहि'दूना फ़ी सबीलिल'लाहिल मुनासिः’ऊना लहू फ़ी जिहादी आ’-दा-इहिल मुबाली'गूना फ़ी नुस’रति औलिया-इहिद’ दाब्बूना अन अहिब'बा-इही फ़'जज़ाकल'लाहू अफ़'ज़ालाल जज़ा-इ व अक्सरल जज़ा-इ व अव'फरल जज़ा-इ व अव्फ़ा जज़ा-इ अहदीन मीम'मन वफ़ा बी-बया’तीही वस-तजाबा लहू दा’-वाताहू व अत’आ-अ वुलाता अम्रिही अश'हदू अन्नका क़द बालग'ता फिन नसी'हती व आ’-तय्ता ग़ा'यतल मज'हूदी फ़बा-अ’सकल'लाहू फिश'शुहादाये व जा-अला रूह’अका मा-अ’अर्वाहिस सु-अ’दा-इ व आ’-त’आका मिन जिनानिही अफ़'सह’अहा मन'जिलन व अफ़'ज़लाहा गुराफां व रफ़ा-अ’ ज़िक्रका फ़ी इल'लिय्यीं व ह’अशराका मा-अन नबिय्यीं वस’सिद'दीकीन वश शुहा'दा-इ वस’साली'हीन व हसुना ऊला-इका रफ़ी'काँ अश'हदू अन्नका लम तहीम व लम तन्कुल व अन्नका मज़यता अला बसीरतिन मिन अम्रीका मुक़'तदी'यन बीस’सालिहीना व मूत'तब्बी-अन लीं नबिय्यें फ़'जमा-अल'लहू बय्नना व बय्नका व बयना रसूलिही व औलिया-इही फ़ी मनाज़िलिल मुख़'बीतीं फ़-इन्नाहू अर'हमुर राहिमीन

 

السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الْعَبْدُ الصَّالِحُ‏
الْمُطِيعُ لِلَّهِ وَ لِرَسُولِهِ وَ لِأَمِيرِ الْمُؤْمِنِينَ وَ الْحَسَنِ وَ الْحُسَيْنِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِمْ وَ سَلَّمَ‏
السَّلاَمُ عَلَيْكَ وَ رَحْمَةُ اللَّهِ وَ بَرَكَاتُهُ وَ مَغْفِرَتُهُ وَ رِضْوَانُهُ وَ عَلَى رُوحِكَ وَ بَدَنِكَ‏
أَشْهَدُ وَ أُشْهِدُ اللَّهَ أَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَى مَا مَضَى بِهِ الْبَدْرِيُّونَ وَ الْمُجَاهِدُونَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ‏
الْمُنَاصِحُونَ لَهُ فِي جِهَادِ أَعْدَائِهِ الْمُبَالِغُونَ فِي نُصْرَةِ أَوْلِيَائِهِ الذَّابُّونَ عَنْ أَحِبَّائِهِ‏
فَجَزَاكَ اللَّهُ أَفْضَلَ الْجَزَاءِ وَ أَكْثَرَ الْجَزَاءِ وَ أَوْفَرَ الْجَزَاءِ
وَ أَوْفَى جَزَاءِ أَحَدٍ مِمَّنْ وَفَى بِبَيْعَتِهِ وَ اسْتَجَابَ لَهُ دَعْوَتَهُ وَ أَطَاعَ وُلاَةَ أَمْرِهِ‏
أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ بَالَغْتَ فِي النَّصِيحَةِ وَ أَعْطَيْتَ غَايَةَ الْمَجْهُودِ
فَبَعَثَكَ اللَّهُ فِي الشُّهَدَاءِ وَ جَعَلَ رُوحَكَ مَعَ أَرْوَاحِ السُّعَدَاءِ
وَ أَعْطَاكَ مِنْ جِنَانِهِ أَفْسَحَهَا مَنْزِلاً وَ أَفْضَلَهَا غُرَفاً وَ رَفَعَ ذِكْرَكَ فِي عِلِّيِّينَ (فِي الْعَالَمِينَ)
وَ حَشَرَكَ مَعَ النَّبِيِّينَ وَ الصِّدِّيقِينَ وَ الشُّهَدَاءِ وَ الصَّالِحِينَ وَ حَسُنَ أُولَئِكَ رَفِيقاً
أَشْهَدُ أَنَّكَ لَمْ تَهِنْ وَ لَمْ تَنْكُلْ وَ أَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَى بَصِيرَةٍ مِنْ أَمْرِكَ مُقْتَدِياً بِالصَّالِحِينَ وَ مُتَّبِعاً لِلنَّبِيِّينَ‏
فَجَمَعَ اللَّهُ بَيْنَنَا وَ بَيْنَكَ وَ بَيْنَ رَسُولِهِ وَ أَوْلِيَائِهِ فِي مَنَازِلِ الْمُخْبِتِينَ فَإِنَّهُ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ‏

 

 

अनुवाद : सलाम हो आप पर की आप ख़ुदा के पारसा बन्दे हैं, आप अल्लाह के इता'अत गुज़ार हैं, ईस के रसूल (स:अ:व:व) के और अमीरुल मोमिनीन (अ:स) के और हसन (अ:स) वा हुसैन (अ:स) के, ख़ुदा इनपर रहमत करे और दरूद भेजे, आप पर सलाम हो और ख़ुदा की रहमत हो और इसकी बरकतें हों ईस की बख्शीश और खुशनूदी हासिल हो आपकी रूह और बदन पर रहमत नाज़िल हो, मै गवाही देता हूँ और ख़ुदा क़ो गवाह बनाता हूँ की आपने ईस मक़सद के लिये जान दी जिसके लिये शुह'दाए बदर और ख़ुदा की राह में जेहाद करने वाले मुजाहिदों ने जानें दी, वो इसके दुश्मनों से लड़ने में मुख्लिस, इसके हामियों में मदद करने में आगे और इसके दोस्तों का दफ़ा'अ करते थे! बस ख़ुदा आपको जज़ा दे, बेहतरीन जज़ा बहुत ज़्यादा जज़ा, फ़रावान-तर जज़ा, और कामिलतर जज़ा दे, जो ईस शख्स क़ो दी जिस ने इसकी बैय्यत का हक़ अदा किया, इसके बुलाने पर हाज़िर हुआ, और इसके साहिबाने अमर पर इता'अत की, मै गवाही देता हूँ की आपने दिली तौर पर पूरी तरह खैरख्वाही की और इसमें अपनी इन्तेहाई कोशिश से काम लिया, लिहाज़ा, ख़ुदा ने आपको शहीदों में जगह दी, आपकी रूह क़ो खुश्बख्तों की रूहों के साथ रखा और आपको अपनी जन्नत में सब से बड़ा महल अता किया, और बुलंद्तर बालाखाना और इसने मुक़ामे अलीयिन में आपको शोहरत बख्शी और मैदाने हशर में आपको नबियों सिद'दीकों शहीदों और नेकोकारों के साथ रखेगा और वो लोग कैसे अच्छे साथी हैं, मै गवाही देता हूँ की आपने ना हिम्मत हारी न पीठ दिखाई, और बेशक आप अपने अमल का श'उर रखते हुए गामज़न रहे, इसमें आप नेकोकारों की पैरवी और नबियों की इत्तेबा'अ कर रहे थे, बस ख़ुदा हमें आपके साथ और अपने रसूल और अपने वालियों के साथ जमा करे, अहले हक़ की मंजिलों में,  की वो सबसे ज़्यादा रहम वाला है!

मो'अल्लिफ़ कहते हैं, बेहतर यह है की ईस ज़्यारत क़ो पुश्त-ए-क़ब्र की तरफ़ क़िबला की तरफ़ मुंह करके पढ़े, जैसे शेख़ ने "तहज़ीब" में लिख है की हरम-ए-मुबारक में दाख़िल होकर खुद क़ो क़ब्रे शरीफ़ से लिपटाए और किब्ले की तरफ़ मुंह करके कहे :  

अस'सलामु अलैका अय्योहल अब्दों'स सालेह ....अल-ख़

 

 السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الْعَبْدُ الصَّالِحُ

 

अनुवाद :  सलाम आप पर की आप ख़ुदा के पारसा बन्दे हैं

 

और यह भी याद रहे की इसके पहले ज़िक्र-शुदा रिवायत के मुताबिक़ हज़रत अब्बास (अ:स) की ज़्यारत यही है, जो हम ने अभी लिखी है लेकिन सैय्यद इब्ने तावूस, शेख़ मुफ़ीद और दुसरे बुज़ुर्ग उल्माओं का इरशाद है की यह ज़्यारत पढ़ने के बाद ज़रीह-ए-मुक़द्दस के सिरहाने जाकर दो रक्'अत नमाज़ बजा लाये और इसके बाद वहाँ और जितनी चाहे नमाजें अदा करे और दुआएं मांगे और नमाज़ के बाद यह कहे :  

 
 

काम जारी है!

 


اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ
وَ لاَ تَدَعْ لِي فِي هَذَا الْمَكَانِ الْمُكَرَّمِ وَ الْمَشْهَدِ الْمُعَظَّمِ ذَنْباً إِلاَّ غَفَرْتَهُ‏
وَ لاَ هَمّاً إِلاَّ فَرَّجْتَهُ وَ لاَ مَرَضاً إِلاَّ شَفَيْتَهُ وَ لاَ عَيْباً إِلاَّ سَتَرْتَهُ وَ لاَ رِزْقاً إِلاَّ بَسَطْتَهُ‏
وَ لاَ خَوْفاً إِلاَّ آمَنْتَهُ وَ لاَ شَمْلاً إِلاَّ جَمَعْتَهُ وَ لاَ غَائِباً إِلاَّ حَفِظْتَهُ وَ أَدْنَيْتَهُ‏
وَ لاَ حَاجَةً مِنْ حَوَائِجِ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ لَكَ فِيهَا رِضًى وَ لِي فِيهَا صَلاَحٌ إِلاَّ قَضَيْتَهَا يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ‏

अनुवाद :  ऐ माबूद! मोहम्मद और आले मोहम्मद पर रहमत नाज़िल कर और इसके इज्ज़ो शरफ़ वाले मुक़ाम और मोहतरम ज़्यारतगाह में अब मेरा कोई गुनाह ना रहने दे की तुने इसे ना बख्श दिया हो, कोई अंदेशा न हो की इसे दूर ना कर दिया हो कोई बीमारी ना हो की इससे सेहत्याब ना कर दिया हो, कोई ऐब ना हो की इसे ढांप ना लिया हो, कोई रिज्क़ ना हो के तुने इसे बढ़ा ना दिया हो, कोई खौफ़ ना हो के इससे अमन ना दिया हो, कोई परेशानी ना हो के इससे मिटा ना दिया हो, कोई गायेब ना हो की तू इसपर नज़र ना रखे, और क़रीब ना किये हुए हो, और दुन्या वा आख़ेरत की हाजतों में कोई हाजत ना हो की जिस में तेरी खुशनूदी ना हो और मेरे लिये मुफ़ीद ना हो मगर यह की तू इसे बर लाये, ऐ सब से बढ़ कर रहम करने वाले!

फिर ज़रीह-ए-पाक के पैताने जाए और वहाँ खड़े होकर कहे :
 

काम जारी है!

 


 

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَبَا الْفَضْلِ الْعَبَّاسَ ابْنَ أَمِيرِ الْمُؤْمِنِينَ السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا ابْنَ سَيِّدِ الْوَصِيِّينَ‏
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا ابْنَ أَوَّلِ الْقَوْمِ إِسْلاَماً وَ أَقْدَمِهِمْ إِيمَاناً وَ أَقْوَمِهِمْ بِدِينِ اللَّهِ وَ أَحْوَطِهِمْ عَلَى الْإِسْلاَمِ‏
أَشْهَدُ لَقَدْ نَصَحْتَ لِلَّهِ وَ لِرَسُولِهِ وَ لِأَخِيكَ فَنِعْمَ الْأَخُ الْمُوَاسِي فَلَعَنَ اللَّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكَ‏
وَ لَعَنَ اللَّهُ أُمَّةً ظَلَمَتْكَ وَ لَعَنَ اللَّهُ أُمَّةً اسْتَحَلَّتْ مِنْكَ الْمَحَارِمَ وَ انْتَهَكَتْ حُرْمَةَ الْإِسْلاَمِ‏
فَنِعْمَ الصَّابِرُ الْمُجَاهِدُ الْمُحَامِي النَّاصِرُ وَ الْأَخُ الدَّافِعُ عَنْ أَخِيهِ‏
الْمُجِيبُ إِلَى طَاعَةِ رَبِّهِ الرَّاغِبُ فِيمَا زَهِدَ فِيهِ غَيْرُهُ مِنَ الثَّوَابِ الْجَزِيلِ وَ الثَّنَاءِ الْجَمِيلِ‏
وَ أَلْحَقَكَ (فَأَلْحَقَكَ) اللَّهُ بِدَرَجَةِ آبَائِكَ فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ‏
اللَّهُمَّ إِنِّي تَعَرَّضْتُ لِزِيَارَةِ أَوْلِيَائِكَ رَغْبَةً فِي ثَوَابِكَ وَ رَجَاءً لِمَغْفِرَتِكَ وَ جَزِيلِ إِحْسَانِكَ‏
فَأَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ الطَّاهِرِينَ وَ أَنْ تَجْعَلَ رِزْقِي بِهِمْ دَارّاً وَ عَيْشِي بِهِمْ قَارّاً
وَ زِيَارَتِي بِهِمْ مَقْبُولَةً وَ حَيَاتِي بِهِمْ طَيِّبَةً وَ أَدْرِجْنِي إِدْرَاجَ الْمُكْرَمِينَ‏
وَ اجْعَلْنِي مِمَّنْ يَنْقَلِبُ مِنْ زِيَارَةِ مَشَاهِدِ أَحِبَّائِكَ مُفْلِحاً مُنْجِحاً
قَدِ اسْتَوْجَبَ غُفْرَانَ الذُّنُوبِ وَ سَتْرَ الْعُيُوبِ وَ كَشْفَ الْكُرُوبِ إِنَّكَ أَهْلُ التَّقْوَى وَ أَهْلُ الْمَغْفِرَةِ
 

 

अनुवाद :  आप पर सलाम हो ऐ अबुल फज्लिल अब्बास (अ:स) फ़र्ज़न्द अमीरुल मोमिनीन (अ:स), आप पर सलाम हो ऐ सरदारे औसिया के फ़र्ज़न्द, सलाम हो आप पर ऐ उसके फ़र्ज़न्द जो ईस्लाम लाने में उम्मत से अव्वल. ईमान में इन्से मुक़द'दम, दिने ख़ुदा में इन्से बध कर साबित क़दम और ईस्लाम की इन्से ज़्यादा हिफ़ाज़त करने वाले थे, मै गवाही देता हूँ के आप ने खैरख्वाही की ख़ुदा की और इसके रसूल की, और अपने बरादर हुसैन (अ:स) की, और आप बड़े ही हमदर्द भाई थे, ख़ुदा की लानत हो ईस गिरोह पर जिसने आपको क़त्ल किया, ख़ुदा की लानत हो ईस गिरोह पर जिसने आप पर सितम ढाया, और ख़ुदा की लानत हो ईस गिरोह पर जिसने आपकी बे'एह्तारामी क़ो जाएज़ समझा, और ईस्लाम की हुरमत क़ो भी पामाल किया, और वो कैसे साबिर जेहाद करने वाले हिमायत करने वाले नुसरत करने वाले और अपने भाई की तरफ़ से लड़ने वाले अच्छे भाई थे वो अपने परवरदिगार की फरमाबरदारी पर आमादा और ईस अमल के शाएक़जिस के बड़े अजर व सवाब और और तारीफ व तौसीफ से दूसरों ने मुंह मोड़ा और महरूम रहे, ख़ुदा आपको ईन बुज़ुर्गों के मोकाम तक पहुंचाए नेमतों भरी जन्नत में! ऐ माबूद! बेशक मै तेरे वलियों की ज़्यारत क़ो आया, तेरे यहाँ से मिलने वाले सवाब के शौक़, तेरी तरफ़ से बख्शीश की उम्मीद, और तेरे अज़ीम एहसान की ख़्वाहिश से और सवाल करता हूँ तुझ से की मोहम्मद (स:अ:व:व) और इनकी पाकीज़ा आल (अ:स) पर रहमत फ़रमा और यह की इनके वास्ते से मेरा रिज्क़ बढ़ा दे इनके ज़रिये मेरी ज़िंदगी बरक़रार रख, मेरी यह ज़्यारत क़बूल कर, मेरी हयात में पाकीज़गी पैदा फ़रमा और मुझ क़ो इज़्ज़त वालों के मोकाम पर पहुंचा दे, मुझे ईन लोगों में रख जो तेरे दोस्तों के मुशाहिद की ज़्यारत से फ़लाह वा कामरानी के साथ वापस हुए हैं, जब इनके गुनाहों की बख्शीश वाजिब इनके ऐब पोशीदा और मुसीबतें दूर कर दी जाती हैं, बेशक तू बचाने वाला और बख्शने वाला है!

जब हज़रत अब्बास से विदा करना चाहे तो क़ब्रे मुबारक के क़रीब जाए और वो दुआ पढ़े जो अबू हमज़ा सुमाली से रिवायत हुई और उल्माओं ने भी इसका ज़िक्र किया! वो दुआ यह है :

 

काम जारी है!

 


أَسْتَوْدِعُكَ اللَّهَ وَ أَسْتَرْعِيكَ وَ أَقْرَأُ عَلَيْكَ السَّلاَمَ‏
آمَنَّا بِاللَّهِ وَ بِرَسُولِهِ وَ بِكِتَابِهِ وَ بِمَا جَاءَ بِهِ مِنْ عِنْدِ اللَّهِ اللَّهُمَّ فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ‏
اللَّهُمَّ لاَ تَجْعَلْهُ آخِرَ الْعَهْدِ مِنْ زِيَارَتِي قَبْرَ ابْنِ أَخِي رَسُولِكَ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ‏
وَ ارْزُقْنِي زِيَارَتَهُ أَبَداً مَا أَبْقَيْتَنِي وَ احْشُرْنِي مَعَهُ وَ مَعَ آبَائِهِ فِي الْجِنَانِ‏
وَ عَرِّفْ بَيْنِي وَ بَيْنَهُ وَ بَيْنَ رَسُولِكَ وَ أَوْلِيَائِكَ‏
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ
وَ تَوَفَّنِي عَلَى الْإِيمَانِ بِكَ وَ التَّصْدِيقِ بِرَسُولِكَ‏
وَ الْوِلاَيَةِ لِعَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ وَ الْأَئِمَّةِ مِنْ وُلْدِهِ عَلَيْهِمُ السَّلاَمُ‏
وَ الْبَرَاءَةِ مِنْ عَدُوِّهِمْ فَإِنِّي قَدْ رَضِيتُ يَا رَبِّي بِذَلِكَ وَ صَلَّى اللَّهُ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ
 

 

  

अनुवाद :  आपको सुपुर्दे ख़ुदा करता हूँ, आपकी इजाज़त चाहता हूँ, और आपको सलाम कहता हूँ, हमार ईमान है ख़ुदा पर और इसके रसूल (स:अ:व:व) पर इनकी किताब पर और जो कुछ ख़ुदा की तरफ़ से इनपर नाज़िल हुआ,! बस ऐ मेरे माबूद! हमें गवाही देने वालों में लिख दे! ऐ माबूद! मेरी ईस ज़्यारत क़ो आख़िरी ज़्यारत क़रार ना दे जो मैंने तेरे रसूल (स:अ:व:व) के भाई (अ:स) के फ़र्ज़न्द (अ:स) पर की है, जब तक तू मुझे ज़िंदा रखे ईस क़ब्र की ज़्यारत नसीब कराते रहना और मुझे इनके और इनके बुजर्गों के साथ जन्नत में रखना, मेरे और इनके दरम्यान और और अपने रसूल (स:अ:व:व) और अपने दोस्तों के दरम्यान जान पहचान करा देना! ऐ माबूद! मोहम्मद (स:अ:व:व) और आले मोहम्मद (अ:स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा और ईस वक़्त जब मेरी मौत वाक़ए हो तुझ पर ईमान और तेरे रसूल (स:अ:व:व) पर अक़ीदा और मेरा यक़ीन हो अली (अ:स) इब्ने अबी तालिब (अ:स) की विलायत पर और इनकी औलाद से अ'ईम्मा (अ:स) की विलायत पर! ईन सब पर सलाम हो और इनके दुश्मनों से मेरा कोई वास्ता ना हो, बस मै यक़ीनन राज़ी हूँ ऐ मेरे रब! ईस सूरत में! और ख़ुदा मोहम्मद (स:अ:व:व) और आले मोहम्मद (अ:स) पर रहमत नाज़िल फ़रमाये!

इसके बाद अपने लिये और मोमिनीन के लिये दुआएं मांगे और फिर मन्कूला दुआओं में से जो दुआ चाहे पढ़े : मो'अल्लिफ़ कहते हैं की ईमाम अली बिन अल-हुसैन अल ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) से एक रिवायत है जिसका खुलासा यह है की आप ने फ़रमाया : "खुदाए ता'आला हज़रत अब्बास (अ:स) पर रहमत करे की जिन्होंने अपनी कुछ परवाह ना की और अपनी जान अपने भाई ईमाम हुसैन (अ:स) पर क़ुर्बान कर दी! यहाँ तक की भाई की नुसरत करते हुए इनके दोनों बाज़ू क़लम हो गए, ता'हम खुदाए ता'आला ने इनको कटे हुए बाजूओं के बदले में दो पर अता कर दियें हैं जिन से वो जन्नत में जाफ़र तैय्यार (अ:स) की तरह फ़रिश्तों के साथ परवाज़ करते हैं!और ख़ुदा वनदे आलम की यहाँ हज़रत अब्बास (अ:स) की इतनी क़द्रो मंज़ेलत है की जिसको देख कर दुसरे शो'हदा इनपर रश्क करेंगे और इनके मोकाम वा मर्तबा की ख़्वाहिश करेंगे!" 

ब्यान किया गया है की शहादत के वक़्त हज़रत अब्बास (अ:स) की उमर 34 बरस थी और जनाबे उम्मुल बनीन (स:अ) जो इनकी माँ थीं वो मदीना के बाहर बक़ी'अ के कब्रिस्तान में आकर हज़रत अब्बास (अ:स) और इनके बाक़ी तीन भाइयों का मातम करते हुए ईस तरह रोटी और बैन करती थीं की जो भी वहाँ से गुज़रता आंसू बहाने लगता था! दोस्तों और चाहने वालों का रोना तो कोई बड़ी बात नहीं, ईन बीबी का नौहा व मातम सुन कर तो मरवान बिन अल-हकम भी रो देता था, जो खानदाने रसूल (स:अ:व:व) का सबसे बड़ा दुश्मन था! हज़रत अब्बास और इनके भाइयों के मर्सिये में नीचे लिखे हुए अश'आर (पंक्ती) बीबी उम्मुल बनीन (स:अ) से नक़ल हुए हैं :

 
 

يَا مَنْ رَأَى الْعَبَّاسَ كَرَّ عَلَى جَمَاهِيرِ النَّقَدِوَ وَرَاهُ مِنْ أَبْنَاءِ حَيْدَرَ كُلُّ لَيْثٍ ذِي لَبَدٍأُنْبِئْتُ أَنَّ ابْنِي أُصِيبَ بِرَأْسِهِ مَقْطُوعَ يَدٍوَيْلِي عَلَى شِبْلِي أَمَالَ بِرَأْسِهِ ضَرْبُ الْعَمَدِلَوْ كَانَ سَيْفُكَ فِي يَدِيْكَ لَمَا دَنَا مِنْهُ أَحَدٌ وَ لَهَا أَيْضاً لاَ تَدْعُوِنِّي وَيْكِ أُمَّ الْبَنِينَ تُذَكِّرِينِي بِلِيُوثِ الْعَرِينِ‏كَانَتْ بَنُونَ لِي أُدْعَى بِهِمْ وَ الْيَوْمَ أَصْبَحْتُ وَ لاَ مِنْ بَنِينَ‏أَرْبَعَةٌ مِثْلُ نُسُورِ الرُّبَى‏قَدْ وَاصَلُوا الْمَوْتَ بِقَطْعِ الْوَتِينِ‏تَنَازَعَ الْخِرْصَانُ أَشْلاَءَهُمْ‏فَكُلُّهُمْ أَمْسَى صَرِيعاً طَعِينَ‏يَا لَيْتَ شِعْرِي أَ كَمَا أَخْبَرُوابِأَنَّ عَبَّاساً قَطِيعُ الْيَمِين

ऐ वो जिस ने अब्बास (अ:स) क़ो देखा, जब बुजदिलों पर हमला करता था, इनके पीछे हैदरे कर्रार (अ:स) के बेटे थे जो बबर शेरोन की तरह थे!
मुझे ख़बर मिली की मेरा बेटा सर के बल गिरा और इसके बाज़ू कटे हुए थे, हाय मेरी मुसीबत के गुर्ज़ की ज़रब से मेरे बेटे का सर कट गया!
बेटे अगर तेरी तलवार तेरे हाथ में होती तो कोई क़रीब ना आ सकता था
 
फिर यह भी उम्मुल बनीन (स:अ) से ही मंसूब है  
 
अब मुझे बेटों की माँ ना कहा करो क्योंकि तुम मुझे शेर दिल बहादुरों की याद दिलाते हो!
मेरे बेटे थे तो मुझे बेटों वाली कहा जाता था, अब जो सुबह होती है तो मेरे बेटे कहीं नज़र नहीं आते  
मेरे चारों बेटे पहाड़ों के शाहबाज़ थे, वो बारी बारी शहीद हुए, इनकी गर्दनें कट गयीं  
इनपर नैज़ा मारने वालों ने हर तरफ़ से हमला किया तो वो ज़ख्मों से चूर हो कर ज़मीन पर ग़िर गए 
हाय अफ़सोस मै समझ पाती जैसा लोगों ने कहा की अब्बास (अ:स) का दायाँ बाज़ू पहले कटा था!
 
 
   

            

     

कृपया अपना सुझाव भेजें

ये साईट कॉपी राईट नहीं है !

वापस इंडेक्स पर जाएँ